Free Cataract Operation Camp Begins at Swami Shukdevanand Charitable Hospital, Parmarth Niketan

November 22, 2023

With the divine blessings of Param Pujya Swami Chidanand Saraswatiji and Pujya Sadhvi Bhagawati Saraswati ji, DSF’s Annual Free Cataract Eye Surgery Camp began this morning at Swami Shukdevanand Charitable Trust Hospital, located in Parmarth Niketan , Rishikesh.

Dr. Milind Bhide from Hyderabad, and Dr. Manoj Patel consulted the patients who arrived today and Dr.Zacharias, Dr.Sakellaris Dimitrios, Dr.Lokovitis, and Dr.Lamprogiannis Lampros from the USA arrived today who will join them tomorrow. We are very happy to share that a team of 20 Doctors are consulting the patients in this Eye camp.

Hundreds of people from in and around Rishikesh registered for Cataract Surgery and some visited for consultation for the irregularities in their vision. Our service started beautifully with all love and care among each other. Patients who stayed in our ashram after surgery were provided with free satvik lunch   . This camp will end on the 28th of this month and we welcome all who are in need of this seva.


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के आशीर्वाद, मार्गदर्शन व पावन सान्निध्य में स्वामी शुकदेवानन्द चेरिटेबल हॉस्पीटल, परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में 20 से 28 नवम्बर तक मोतियाबिंद आपरेशन शिविर की शुरूआत हुई।

भारत, आस्ट्रेलिया, अमेरिका, ग्रीस आदि देशों से आये विख्यात नेत्र सर्जन मोतियाबिंद आपरेशन कर रहे हैं। विगत 18 वर्षों से यह क्रम निरंतर चल रहा है। इस बार उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, महाराष्ट्र और हरियाणा के 500 से अधिक लोगों ने पंजीकरण करवाया हैं तथा प्रतिदिन 30 से 35 मोतियाबिंद के आपरेशन बड़ी की कुशलता से किये जा रहे हैं। आपरेशन के पश्चात रोगियों को सुपाच्य भोजन, रूकने की स्वच्छ, सुन्दर व्यवस्था और दवाईयों निःशुल्क प्रदान की जा रही हैं।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि सेवा ही जीवन है दूसरे के हित लिये कार्य करना ही सच्ची सेवा है। सेवा करने से न केवल दूसरों का हित होता है बल्कि हमारा मन भी खुशियों की तरंगों से भर जाता है।

स्वामी जी ने कहा कि सच्ची सेवा वही है जिसके बदले में हमारी कोई अपेक्षा न हो। सेवा अर्थात देने की भावना विश्व के अनेक देशों से आये ये सभी नेत्र चिकित्सक अपने टाइम और टैंलेंट के माध्यम से पीड़ित मानवता से सेवा कर रहे हैं जो वास्तव में अनुकरणीय है।

स्वामी जी ने कहा कि विश्व के कई देशों से आये चिकित्सक सत्यनिष्ठा, समानुभूति, प्रतिबद्धता और समर्पण भाव से अपनी सेवायें प्रदान कर रहे हैं। गीता जी में संदेश है कि मानव जाति को एक-दूसरे की सेवा भगवान की सेवा के रूप में करनी चाहिये और गांधी ने इस संदेश का दृढ़ता से पालन किया और बताया है कि कैसे आत्मा की स्वाभाविक प्रगति निःस्वार्थता और पवित्रता की ओर ले जाती है। सेवा के माध्यम से हम आसक्ति और द्वेष से मुक्त जीवन जी सकते हैं।

जीवन की सतत गतिशीलता के बीच हम यह सोचना भूल जाते हैं कि हमारा प्रवाह किस दिशा में हो रहा है और इस प्रावहशीलता के क्या मायने हैं। क्या जीवन हमें जी रहा है या हम जीवन को जी रहे हैं? क्या जिंदगी हमारे मूल्यों, आदर्शों और सिद्धांतों के सहारे आगे बढ़ रही है या कोई और इसे संचालित कर रहा है परन्तु जब मन में पीड़ित मानवता का भाव उठता है तो हृदय में सेवा भाव की आवाज बुलंद हो जाती है और फिर दूसरों का दुःख हमारा हो जाता है इसी भाव से एक शान्तिपूर्ण दुनिया का निर्माण किया जा सकता है।

डॉ. वेंकटेश गंगाखेडकर ने कहा कि मैं पहली बार परमार्थ निकेतन में डा मिलिंद भिडे के आग्रह पर अपनी सेवाये ंदेने के आया हूँ। यहां मैने देखा कि जिस प्रकार हमारी हैदराबाद में अपनी ओटी है उसी प्रकार की सुविधायें परमार्थ निकेतन में भी हैं। उच्च स्तरीय मशीनों द्वारा सर्जरी की जा रही है। यह मुझे कैम्प जैसा नहीं लग रहा बल्कि यह तो सुव्यवस्थित ओटी सेटअप है। वास्तव में पूज्य स्वामी जी के आशीर्वाद से परमार्थ में अद्भुत सुविधायें प्रदान की जा रही है।

खतौली, बिजनौर, नजीबाबाद, आदि केदार, खटीमा, आदि स्थानों से आये रोगियों का आज मोतियाबिंद का आपरेशन हुआ। यहां से प्रति वर्ष ग्रुप में लोग आते हैं। परमार्थ निकेतन में आयोजित मोतियाबिंद आपरेशन के सफलता की अनेक कहानियाँ है, जो यहां पर एक बार आपरेशन कर के गये वे अपने संगे-संबंधियों को भी लेकर आते हैं।